फिल्म ‘मेंहदी लगा के रखना’ भोजुपरी इंडस्ट्री में नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है। लोकप्रिय संगीतकार पहली बार इस फिल्म के जरिए निर्देशक के रूप में नजर आ रहे हैं। नई फिल्म ‘मेंहदी लगा के रखना’ उनकी सिनेमाई प्रतिभा का विस्तार है। कैसे एक संगीतज्ञ लोक रागों को अपनी लोकप्रिय शैली का वियोजन सिनेमा के मनभावन दृश्यों को रचने में किया है, यह इस फिल्म में साफ नजर आता है। कैसे लगभग सभी दृश्य नवीनता और भोजपुरी अहसासों के साथ शिद्दत से दिल में उतरते हैं और कैसे लगभग सारे कलाकारों का अभिनय भी अच्छी टाइमिंग और ठहराव के साथ बेहतर हो जाता है?
काजल के रूप में काजल राघवनी ने भोजपुरिया प्रेम के अहसास को बढ़ाया है। अभिनेता खेसारी लाल भी अपने करियर के सबसे उम्दा किरदार में नजर आ रहे हैं। भोजपुरी इंडस्ट्री में खलनायक के रूप में पहचाने जाने वाले अभिनेता अवधेश मिश्रा का अपने सकारात्मक किरदार में डूबना एक पिता के आत्मिक भाव को बढ़ाने वाला है। वहीं संजय पांडे के तल्ख अंदाज भी सराहनीय हैं। फिल्मकार रजनीश मिश्रा ने सिनेमा के मनोरंजन को समाज, संगीत और वैवाहिक माहौल से गुलजार कर हर भाव संजोए हैं।
बात अगर कहानी की करें, तो फिल्म की शुरूआत राजा (खेसारी लाल यादव) के उद्यम से होता है, जो निकम्मा और बेरोजगार है। मगर हर पिता की तरह राजा के पिता जी (अवधेश मिश्रा) की चाहते हैं कि राजा सुधकर कोई काम काज करे पर राजा हर काम को इतना उल्टा पलट करता कि नौकरी से निकाल दिया जाता, रामनारायण उसकी इन हरकतों से बहुत परेशान है ।
एक दिन राजा को एक खूबसूरत लड़की काजल मिल जाती और पता चलता की वो स्कूल में संगीत टीचर है, काजल के चक्कर राजा स्कूल में चपराशी की नौकरी करने लगता है, रामनारायण राजा के सुधरने और नौकरी करने से बहुत खुश है। कुछ दिनों के बाद पूरा स्कूल स्वच्छ्ता अभियान पे जाता है जहां राजा काजल से अपने प्यार का इज़हार कर देता है, काजल को ये बहुत बुरा लगता और वो राजा को थप्पड़ मार देती है।
रामनारायण को पूरी बात पता चलती है और वो राजा का दिल हल्का करने के लिए उसको अपने एक मित्र के घर ले जाते जहा मित्र के बेटी की शादी है, राजा अपने पिता के मित्र के परिवार के सारे लोगो से मिलता है। लेकिन उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता जब वो देखता है कि जिस लड़की की शादी में आया है वो कोई और नहीं बल्कि काजल है, जिसको वो प्यार करता है।
उसके बाद राजा वही पे रुकता है, और अपनी ही मेहबूबा की शादी की तैयारी में मदद करता फिर धीरे धीरे राजा की अच्छाईयों से काजल इतना प्रभावित हो जाती की राजा को प्यार करने लगती है और जिस दिन काजल राजा से अपने प्यार का इज़हार करती है उसके दो दिन बाद ही उसकी बारात आने वाली होती है। मुहब्बत और संस्कारों के भवर में पड़े राजा और काजल क्या फैसला करते इसी का ताना बाना है – मेहंदी लगा के रखना।
फिल्म के संगीत काफी कर्णप्रिय है और लोगों को पसंद भी आएंगे। फिल्म के सारे गाने पहले ही हिट हो चुके हैं। सोशल मीडिया में भी फिल्म के गाने काफी पसंद किए जा रहे हैं। साथ ही फिल्म में खेसारी और काजल की जोड़ी भी लोगों को भा रही है। फिल्म के सारे पहलुओं को गौर करें तो पता चलता है कि भोजुपरी सिनेमा में प्रेम के नए दृश्सों को नए अंदाज में फिल्माया गया है। अश्लीलता को दरकिनार कर रोमांस की अलग और इनोविेटिव प्रस्तुति इस फिल्म को और भी खास बनाती है।