पटना, 21 मार्च 2017: मशहूर शहनाई वादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खां ने अपनी कृति से न सिर्फ बिहार का बल्कि पूरे देश का नाम रौशन किया। डुमरांव के साधारण से गलियों से निकल कर उन्होंने शहनाई वादन को एक नई पहचान दी। इसलिए आज हम उनके 100वें जन्मदिन को ‘नमन उस्ताद’ कार्यक्रम के जरिए याद कर रहे हैं। उक्त बातें कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री श्री शिवचंद्र राम ने आज बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसर पटना में बिहार संगीत नाटक द्वारा आयोजित उस्ताद बिस्मिल्ला खां के जन्मसती समारोह के दौरान कही। इससे पहले उन्होंने कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
श्री राम ने उस्ताद बिस्मिल्ला खां को पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि उस्ताद खां आज भले हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कीर्ति हमें आज भी गौरवान्वित होने का अवसर देती है। बिहार की माटी के सुगंध को उन्होंने अपनी शहनाई से दुनियां भर में फैलाया। उन्होंने शास्त्रीय संगीत के केंद्र में शहनाई वादन को स्थापित किया। उन्होंने हिंदी फिल्मों के अलावा मद्रासी फिल्मों में भी शहनाई वादन किया। भोजपुरी में उनकी ‘बाजे शहनाई अंगना’ को भला कौन भूल सकता है। उन्होंने कहा कि विभाग पहली बार उनकी जयंती को वृहद पैमाने पर आयोजित कर रही है, मगर राज्य सरकार उस्ताद बिस्मिल्ला खां के सम्मान में एक भव्य कार्यक्रम के अयोजन को उनके गृह क्षेत्र डुमरांव तक विस्तारित करने का काम करेगी।
कार्यक्रम की शुरूआत उस्ताद बिस्मिल्ला खां मंगल गान के साथ शुरू हुई, जिसे अर्जुन कुमार चौधरी के द्वारा बनाए गए रसन चौकी से जुड़े गया के कलाकारों ने अबरेज आलम के नेतृत्व में पेश किया। फिर पत्रकार, चिंतक और समाजसेवी पुरूषोत्तम ने उस्ताद बिस्मिल्ला खां के जीवन पर एक संक्षिप्त परिचय दिया। इसके अलावा ध्रुपद गायन और 40 मिनट की वृतचित्र कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रही। कार्यक्रम में कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के अपर सचिव आनंद कुमार, बिहार संगीत नाटक अकादमी के सचिव तारानंद वियोगी, आलोक धन्वा, विभा सिन्हा,अशीष सिन्हा, विनय कुमार आदि उपस्थित रहे।