रंगमंच में अंजन श्रीवास्तव की गोल्डन जुबली —अनिल बेदाग—

गोल्डन जुबली या स्वर्ण जयंती वर्ष। ये शब्द सुनकर चेहरे पर खुशी छा जाती है। हर शख्स अपने उम्र की गोल्डन जुबली मनाना चाहता है लेकिन ऐसा अवसर किसी किसी को मिलता है। एक दौर ऐसा भी था जब फिल्मों की गोल्डन जुबली मनाई जाती थी। तब निर्माता व वितरकों के यहां दीये जलते थे। सेलिब्रेशन होता था, पर अब मल्टीप्लेक्स के चलते गोल्डन जुबली जैसे शब्द लुप्त होते जा रहे हैं, पर नहीं। एक अभिनेता ऐसा भी है जिसने गोल्डन जुबली शब्द की गरिमा को बचाए रखा है और वो चाहता है कि गोल्डन जुबली का अस्तित्व कभी खत्म न हो, इसलिए कला से जुड़ा वो शख्स या कलाकार एक खास मौके को भी गोल्डन जुबली के रूप में सेलिब्रेट कर रहा है। ये कलाकार है अंजन श्रीवास्तव। रंगमंच व सिनेमा का एक जाना-पहचाना नाम। बता दें कि अंजन श्रीवास्तव ने नाट्य जगत में अपने 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं इसलिए सेलिब्रेशन का मूड तो बनता ही है। पचास सालों का यह सुनहरा सफर कोई मामूली उपलब्ध् िनहीं है।

       

जो शख्स नाटकों रंगमंच की दुनिया में पचास दशक से हो हो, उसके लिए अब तक का कालखंड कितना यादगार रहा होगा। अंजन नम आंखों से अपने हर उस दौर को याद करते हैं, जब उन्होंने परिस्थितियों और हालातों के अनुसार ही नाटक खेले। बीस साल की उम्र में अंजन ने रंगमच से अपनी शुरूआत की थी। आत्मसंतुष्टि क्या होती है, यह उन्होंने रंगमंच से ही महसूस की। उन्हें लगा कि वो रंगमंच के लिए ही बने हैं। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि पचास साल तक वह रंगमंच से जुड़े रहेंगे और यह यात्रा आगे भी जारी रहेगी। अंजन कहते हैं कि इन पचास सालों में उन्होंने रंगमंच व अपनी व्यक्तिगत जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे लेकिन मंच पर आते ही अंजन सबकुछ भूल जाते थे। हालांकि परिवार की खातिर उन्होंने बैंक में नौकरी भी की लेकिन काम खत्म होते ही कदम रंगमंच की तरपफ बढ़ने लगते थे। अदाकार के तौर पर खुद को निखारने में अंजन इप्टा का बड़ा योगदान मानते हैं। वह स्वीकार करते हैं कि इप्टा उनके लिए आक्सीजन की तरह है। वह कहते हैं कि जब मैं कोलकाता से मुंबई आया, तो इप्टा के बारे में पता चला। आज यह संस्था 75 साल पुरानी हो चुकी है। इससे पता चलता है कि नाट्स क्षेत्र में इप्टा ने कितना सम्मान पाया है।

वर्ष 1978 में अंजन का इप्टा में आगमन हुआ। वह कहते हैं कि इप्टा में आगमन को मैं अपने कॅरियर का टर्निंग प्वाइंट मानता हूं। इप्टा की बदौलत उन्हें दिग्गज़ हस्तियों के साथ काम करने का मौका मिला। कई नाटक किए जो आज अपने आप में मिसाल बन गए हैं। इनमें से बकरी नाटक अंजन के दिल के करीब है। बकरी में अंजन ने देश के कई राजनेताओं के भाव भंगिमा की नकल प्रस्तुत की थी। बकरी के लिए अंजन ने सपफेद दाढ़ी खासतौर पर बढ़ाई थी। इप्टा के तहत अंजन ने आखरी शमा, कश्मकश, मोटेराम का सत्याग्रह, ताजमहल का टैंडर, दरिंदे, एक और द्रोणाचार्य आदि कई नाटकों में काम किया। आज इप्टा 75 साल की हो चुकी है और अंजन श्रीवास्तव नाट्य मंच की 50वीं पारी शानदार तरीके से खेल रहे हैं।


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Bhupendra Vijay Singh will again Storm Box Office With New Film... Posted by author icon admin Nov 27th, 2019 | Comments Off on Bhupendra Vijay Singh will again Storm Box Office With New Film