दादासाहेब फाल्के फिल्म फॉउन्डेशन अवार्ड्स – के अवार्ड सिर्फ काबिल व्यक्तियों को ही दिया जाता है। –आशफाक खोपेकर
“दादासाहेब फाल्के फिल्म फॉउन्डेशन अवार्ड्स” की शुरुवात हमारे द्वारा किया गया था, क्योँकि इस अकडेमी से पिछले १० वर्षो से जुड़े हुए थे, और अवार्ड के प्रोग्राम की जिम्मेदारी ट्रस्ट के कोई ट्रस्टी नही उठाते थे नाही एक रुपया खर्च करते, विगत ९ वर्षो से प्रोग्राम की सारी जिम्मेदारी हर्श गुप्ता ने उठा रखी थी। बाकी लोग पैसे कमाने मे जुटे हुए थे इसी मनमानी की वजह से मिथुन चक्रवर्ती, जॉनी लिवर, पहलाज निहलानी, जैसे माननीय ट्रस्टी तो पहले हीअलग हो चुके है और कुछ लोगो को सिर्फ नाम के लिए जोड रखा है। २०१४ के अवार्ड के बाद हम लोग के अकेडमी से अलग होने की वजह ये थी, के प्रोगाम से प्राप्त हुई राशी से ट्रस्टी लोग फिल्म इंडस्ट्री के लिए कोई वेलफेर का काम नही करते थे, उन्होंने करीब ३० लाख रुपया जमा कर रखा है।
आज तक किसी टेक्नीशियन या स्वयं दादा साहेब फालके की फैमिली की कोई सहायता नहीं की। हर साल अपनी मर्जी से चेयरमैन बदल दिए जाते हैं, उन्हे ट्रस्ट से जोडा नही जाता, उन की गुडवील का इस्तमाल कर उन्हे हटा दिया जाता है। २०१४ के बाद हमने अँकडमी के माध्यम से अवार्ड करना बंद किया तो अकॅडमी अवार्ड ही बंद हो गया, और “दादासाहेब फालके फिल्म फाँन्डेशन अवार्ड” शुरु किया गया जिसमे फिल्म इंडस्ट्री के काबिल टेकनीशियन्स को अवार्ड के साथ नकद ११००० रुपये की राशी देने की शुरुवात हुई। दादा साहेब फालके की फँमीली को साथ लेकर उन्हे सम्मान देना शुरू हुआ। उनके हाथो अवार्ड देना शुरु हूआ।सन २०१५, के अवार्ड समारोह की अपार सफलता के बाद “दादासाहेब फालके फिल्म फाॅन्डेशन” ने वेल्फेर के कामो की शुरूवात की और विगत तीन सालो से ट्रस्टी स्वयं अपने खुद के पैसो से कार्यक्रम कर रहे है। हर्श गुप्ताजी ने दो साल से एक्सलेन्स आवार्ड की शुरुवात की, हर तरह से काम सही चल रहा है, यह देखकर इस साल (२०१७) अकॅडमी का टायटल माननीय श्री गनेश जैन जी ने अकेडमी के चेयरमैन बनकर अपने कार्यकाल के पहले ही साल सिर्फ २००००० रुपये मे व्यवसायी ‘एस कुमार’ को बेच दिया। अब यह एस कुमार जी की कपनी बन गयी है, जो ये अवार्ड कर रही है। वो जीसे चाहे अवार्ड दे सकते है न जुरी, न अडवायजरी कमीटी है। अब आप स्वयं ही डिसाइड किजीए की किस अवार्ड की आहमीयत होनी चाहीये।
यह फॉउंडेशन आर्टीस्ट और टेक्निशियंस के वेल्फर के लिए काम कर रही है। भारत की पुरी फिल्म इन्डस्ट्री को जोडे रखना ही हमारा उद्देश्य है। अवार्ड करके पैसा कमाना दादासाहेब फालके फिल्म फोन्डेशन का उद्देश्य नही है। यह सच्चाई हम आज से पहले जता कर कीसी को नुकसान पहुंचना नही चाहते थे।
बाकी आप सब स्वयं समझदार हैं। ——आशफाक खोपेकर