आज के रिश्ते को बुनियादी तौर पर मजबूत करती है ‘लव शॉट्स’
सेक्स के विषय में जब भी चर्चा होती है लोग इस विषय में बात करने से बचना चाहते है। सेक्स शब्द सुनते ही लोगों को शर्मिंदगी का अहसास होता है। सरकार भी सेक्स के प्रति जागरूकता फैलाने और उससे होने वाली बीमारियों और दुष्प्रभाव से बचने के लिए पाठ्यक्रम में इसको लागू करना चाहती है। कई फ़िल्म स्टार ने इस विषय पर खुलकर बात की है और लोगों को जागरूक किया है पर असल बात कहाँ से शुरू करनी है और समाज के लोगों की सोच कैसे बदलनी पड़ेगी इस पर फ़िल्म के कहानीकार और निर्देशक ने बेहतर काम किया है।
फ़िल्म की कहानी एक ऐसी लड़की अन्विता (अन्विता राय) की है जो आज के खुले विचारों वाली है, हमेशा सच बोलती है और जिंदगी का मज़ा लेना चाहती है। इसी चाहत में उसे विशाल से क्रश हो जाता है वह उस पर समर्पित हो जाती है, जॉब में उसे आंद्रे मिलता है और उसके साथ भी वो जिंदगी का मजा लेना चाहती है, ऐसे ही वह अपने बेस्ट फ्रेंड से भी संबंध बना लेती है। अन्विता जिंदगी की मौज और क्षणिक प्रेम की आशा में कई लड़कों से संबंध बना लेती है।
एक दिन उसकी मुलाकात ब्यूटीपार्लर में गिरवान से होती है। पहली मुलाकात में गिरवान को प्यार हो जाता है। दोनों की मुलाकातें होती है फिर शादी हो जाती है पर अन्विता के अतीत की गलतियां उसके वर्तमान को ध्वस्त करने लगती है। अन्विता स्वयं के सम्मान को समाज, पति और परिवार में वापस कैसे हासिल करती है, इस प्रश्न का उत्तर फ़िल्म में बहुत सी अदभुत ढंग से प्रदर्शित किया गया है। यह समाज के दकियानूसी सोच को भी आहत करती है और एक नारी के उद्वेदना को सटीक तरीके से दर्शाती है।
मैडजग फिल्म्स के बैनर तले बनी निर्मात्री अल्पा ओबेरॉय की फिल्म ‘लव शॉट्स’ के डायलॉग अच्छे हैं जो कि सामाजिक दायरों में बंधे हुए हैं। यह फ़िल्म युवाओं के लिए समर्पित है। फ़िल्म का मुख्य सूत्रधार और अभिनेत्री अन्विता है जिन्होंने बहुत सुंदर अभिनय किया है। अन्य कलाकार रवनीत सिंह, शशांक शर्मा, रोहन आनंद, रैना वशिष्ठ, सुधा चंद्रन, राजेश पूरी, पुष्पा वर्मा का अभिनय ठीक ठाक है। फ़िल्म में पृथ्वीराज ओबेरॉय का निर्देशन उम्दा है साथ ही संगीत कहानी को आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होता है। फ़िल्म के माध्यम से आज के समय में लड़खड़ाती युवा पीढ़ी को मैसेज दिया गया है।
—–Fame Media (Wasim Siddique)